पार्षद चुनाव से विधायक और फिर देश की राष्ट्रपति… जानें कैसा रहा द्रौपदी मुर्मू का सियासी सफर

Ward Member To President: देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं. इसमें पिछला डेढ़ दशक को महिलाओं (Ladies) के लिए खास माना जाता है. जीवन के हर दौर में सफलता का झंडा गाड़ने वाली महिलाओं ने देश के संवैधानिक पदों (Constitutional Put up) पर भी राज किया. साल 2007 में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल (Pratibha Devi Singh Patil) देश के प्रथम महिला राष्ट्रपति (Feminine President) बनीं तो इस बार द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति (Tribal President) चुनी गईं.

क्या कभी किसी ने सोचा भी था कि ओडिशा के एक छोटे से गांव उपरबेड़ा से उठकर कोई महिला देश के सर्वोच्च पद पर बैठेगी और देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक राष्ट्रपति भवन उनका आवास होगा. द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना पेशेवर जीवन शुरू किया था और उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति की ओर कदम रखा. द्रौपदी मुर्मू साल 1997 से राजनीति में एक्टिव हैं. उन्होंने नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आगाज किया था.

द्रौपदी मुर्मू का सियासी सफर

साल 1997 यही वो साल था, जब द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार चुनाव में दांव आजमाया था और उसमें वो कामयाब रहीं. मुर्मू रायरंगपुर नगर पंचायत से पार्षद चुनी गईं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. द्रौपदी मूर्मू ओडिशा विधानसभा में 2 बार विधायक भी रहीं. पहली बार साल 2000 में वो रायरंगपुर सीट से चुनीं गई, जो रिजर्व सीट है. साल 2004 में फिर वो इस सीट से जीतकर आईं. साल 2000 में बीजेपी और बीजू जनता दल सरकार में वो कॉमर्स और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रहीं, बाद में मत्स्य और पशु विभाग की मंत्री बनीं.

जीवन में उतार चढ़ाव में भी आए

द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने अपने सियासी सफर में कई उतार चढ़ाव भी देखे. साल 2009 में उन्हें बीजेपी (BJP) ने मयूरभंज लोकसभा सीट से मैदान में उतारा लेकिन सफलता नहीं मिली. द्रौपदी मुर्मू तीसरे नंबर पर रही. इसके बाद 2014 में वो रायरंगपुर विधानसभा सीट (Meeting Seat) से बीजेपी के टिकट पर लड़ी लेकिन यहां भी उन्हें करीब 15 हजार वोट से हार मिली. द्रौपदी मुर्मू बतौर विधायक 2 चुनाव जीती और एक में उन्हें हार मिली. विधायक के तौर पर भी उनके काम का डंका बजा. साल 2007 में उन्हें सर्वेश्रेष्ठ विधायक (Greatest MLA Award) के लिए नीलकंठ अवॉर्ड (Neelkanth Award) से सम्मानित किया गया, ये अवॉर्ड उन्हें ओडिशा विधानसभा की तरफ से मिला.

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